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पूर्व पार्षद अब्दुल हामिद के घर हमला

जातिगत अश्लील गाली गलौज और वाहन में तोड़फोड़

दंतेवाड़ा (पपलू)।नए कानून के मुताबिक अब किसी की निजी संपत्ति में थोड़ फोड़ करना, गाली गलौज करना धमकी देना अब अपराध नहीं रहा,थाना किरंदुल के रवैए से अब ऐसा ही संदेश प्रसारित हो रहा है,मामला किरंदुल नगर पालिका परिषद के चुनाव से संबंधित है उक्त मामला कई गंभीर सवालों को भी जन्म देता है कि क्या पुलिस अभी भी ईस्ट इंडिया के नुमाइंदे की तरह ही व्यवहार और काम करती है,क्या वह अब तक ब्रिटिश मानसिकता से बाहर नहीं आ पाई है,मामला किरंदुल नगर का है,लौह नगरी किरंदुल में चुनाव में वार्ड क्रमांक 10 से अब्दुल वहीद सिद्दीकी कांग्रेस से प्रत्याशी थे वहीं बीजेपी से डी पी मिश्रा दोनों ही प्रत्याशियों ने चुनाव में अपनी सारी ताकत और संसाधन झोंक रखे थे चूंकि डी पी मिश्रा पूर्व मंडल अध्यक्ष रह चुके थे इसलिए यह वार्ड बीजेपी के प्रतिष्ठा और हाई प्रोफ़ाइल वार्ड में शुमार हो गया लौह नगरी की जनता भी उक्त वार्ड में गहरी रुचि दिखा रही थी वाक्य यह है कि बबलू अब्दुल वहीद सिद्दीकी उक्त वार्ड से शुरू से ही बीजेपी के प्रत्याशी डी पी मिश्रा पर भारी पड़ रहे थे और यह अनुमान परिणामों में भी तब्दील हो गया बस यहीं से हार की कुंठा से ग्रस्त प्रत्याशी ने लोक तंत्र के महापर्व चुनाव में अपनी हार और जनादेश को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करने की बजाए कुंठित और शूद्र मानसिकता का परिचय देते हुए अपने एक प्यादे से सिद्धकी के घर पर हमला करा दिया यहां तक कि उनकी निजी गाड़ी में भी तोड़ फोड़ की गई गाली गलौज और धमकियों का तो कोई हिसाब ही नहीं है,लौह नगरी किरंदुल का यह इतिहास रहा है कि यहां चुनाव भी दोस्ताना लहजे में लड़े जाते है किन्तु वर्तमान चुनाव में यह परिपाटी ब्रेक हो गई,बात तब और ज्यादा संगीन हो गई जब सिद्धकी ने थाने में उक्त घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया और थाना किरंदुल ने अपराध दर्ज करने से मना कर दिया हद तो तब हो गई जब उक्त अपराध को प्राथमिकी दर्ज न करने योग्य बताकर थाने से फेना जारी कर कोर्ट में जाने की सलाह दी गई अभी हाल में ही केंद्र सरकार ने कानूनों में काफी बदलाव किए हैं हो सकता है वर्तमान में किसी के घर पर हमला करना व गाड़ी में तोड़ फोड़ करना अब गंभीर अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया हो एवं प्राथमिकी दर्ज करने योग्य मामला नहीं रहा गया किरंदुल थाना के रवैये से तो ऐसा ही प्रतीत होता है या फिर यह भी हो सकता है कि सत्ता का दबाओ कानून पर हावी हो गया हो बहरहाल तत्काल कुछ कह पाना मुश्किल है कि इन दोनों में कौन सा कारण सही है,कुल मिलकर मामला बड़ा संगीन है बहुत पुरानी कहावत है कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे तब सोचता था क्या वास्तव में खिसियानी बिल्ली खंभा नोचती है,आज हारे हुआ प्रत्याशी की इस हरकत पर पता चला कि यह सत्य है,बुजुर्गों ने बहुत सोच समझ के ही यह मुहावरा समाज को दिया होगा जो गाहे बगाहे अपनी प्रामाणिकता को सिद्ध करते रहता है।

बहरहाल मामला संगीन है इसे देखते हुए मामले की जानकारी 15 फरवरी की रात को ही थानेदार प्रहलाद साहू को दी गई थानेदार ने रात को घटनास्थल का मुआयना भी किया और आरोपी को थाने ले जाने के बजाए समझा बुझा कर घर रवाना कर दिया।
जिस गाड़ी में तोड़फोड़ की गई है वहा वाहन टाटा आरिया पत्रकार अब्दुल हमीद सिद्दीकी की है वो किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता या पदाधिकारी नही है जब कोई कार्यवाही न हुई तब उन्होंने एक लिखित आवेदन एफआईआर दर्ज करने हेतु थाना किरंदुल को दिया पर अब तक कोई कार्यवाही नही किया गया है ।दच्छिन बस्तर पत्रकार संघ अब इस मामले को लेकर पुलिस के आला अधिकारियों से मुलाकात कर एफआईआर दर्ज अब तक क्यों नही की गई वार्तालाप करेंगे ।

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