अडानी – मित्तल को बस्तर की खनिज सम्पदाओं को देने की तैयारी, स्थानीय विरोध खत्म करने मुख्यमंत्री ने बनवाया नया सामाजिक संगठन
आदिवासी समाज का राजनीतिकरण कर रही भाजपा - देवती महेंद्र कर्मा ।* ● *बस्तर की खनिज सम्पदाओं को लूटने के लिए आदिवासियों को आपस मे लड़वा रही है भाजपा ।*

🔥🔥🔥 *प्रेस विज्ञप्ति*🔥🔥🔥
*आदिवासी समाज का राजनीतिकरण कर रही भाजपा – देवती महेंद्र कर्मा ।*
● *बस्तर की खनिज सम्पदाओं को लूटने के लिए आदिवासियों को आपस मे लड़वा रही है भाजपा ।*
● *अडानी – मित्तल को बस्तर की खनिज सम्पदाओं को देने की तैयारी, स्थानीय विरोध खत्म करने मुख्यमंत्री ने बनवाया नया सामाजिक संगठन ।*
● *भाजपा द्वारा पूरे प्रदेश में “सर्व आदिवासी समाज” को निष्क्रिय कर अपने पदाधिकारियों के साथ अपना नया “छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज” का किया गठन ।*
जगदलपुर (दंतेवाड़ा)। बस्तर संभाग मूलतः एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है और आदिवासियों के संरक्षण के लिए इसे संविधान द्वारा पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में रखा गया है ताकि इस विशेष अधिकारों के साथ आदिवासी क्षेत्र एवं आदिवासियों को संरक्षित किया जा सके । अपनी एकजुटता और हक के लिए कई दशकों से जिले में सर्व आदिवासी समाज भी स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यो को करता आया है । आदिवासी परंपरा में सामाजिक एकजुटता और जल जंगल जमीन के संरक्षण से बड़ा कुछ नही होता है और इस विचारधारा को प्रमुखता से आगे बढ़ाने का काम सर्व आदिवासी समाज करती आई है । पर अब छत्तीसगढ़ में भाजपा की डबल इंजन सरकार आते ही भाजपाई इस सामज को भो तोड़ने का काम कर रही है । जिसका हालिया प्रमाण देखने को मिला 9अगस्त को विश्व मूल आदिवासी दिवस के दिन जब जिले में दो – दो सामाजिक कार्यक्रम हुये । एक सामाजिक संगठन “सर्व आदिवासी समाज” जो कई दशकों से जिले में सक्रिय है तो वही दूसरा “छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज” जिसे हाल ही में भाजपा संगठन के संरक्षण में नया गठित किया गया है ।
इस पूरे मामले में पूर्व विधायक देवती महेंद्र कर्मा ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और आरएसएस द्वारा बनाया गया यह नया “छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज” मूलतः सिर्फ भाजपा के कार्यकर्ताओ ने आपने फायदा के लिए बनाया है । जिस पर देवती कर्मा ने साफ कहा कि भाजपाई और आरएसएस की मंशा सिर्फ हम आदिवासियों को आपस मे लड़वाना है । प्रदेश के मुख्यमंत्री चाहते है कि समाज की एकजुटता को खत्म कर दिया जाए और समाज को तोड़कर दिल्ली में बैठे अपने आकाओं को खुश किया जाए जिससे बड़ी आसानी से निजी उद्योगपतियों को बस्तर के खनिज सम्पदाओं को बेचा जा सके । देवती कर्मा ने कहा कि दशकों से यही “सर्व आदिवासी समाज” है जो हमारे लोगो के हक़ की लड़ाई लड़ते आया है और पूर्व में हमारी आदिवासी संस्कृति से लेकर हमारी वन – खनिज सम्पदाओं को बचाती आई है । इस समाज ने अडानी से लेकर आरती स्पॉन्ज आयरन तक और एनएमडीसी से लेकर मित्तल तक का जमीनी विरोध कर आदिवासियों को अपना हक दिलाया है ।
देवती कर्मा ने कहा की जब पूर्व में हमारी कांग्रेस की सरकार थी तब कभी किसी भी कांग्रेसी ने समाज के मामले में हस्तक्षेप नही किया, ना ही कोई कांग्रेसी कभी सामाजिक संगठन का हिस्सा रहा, परन्तु आज भाजपाइयों द्वारा गठित इस सामाजिक संगठन से साफ नजर आता है कि कैसे अपने पार्टी के पदाधिकारियों को जोड़ कर जो नया संगठन बनाया गया है वह सिर्फ अपने पार्टी और अपने आकाओं का स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बनाया गया है । यह संगठन सिर्फ आदिवासियों के विरोध में काम करेगा और हमारी जल – जंगल – जमीन एवं खनिज सम्पदाओं को अडानी – मित्तल को देने लिए कार्य करेगा । आरएसएस और भाजपा संगठन चाहती है कि अपनी सामाजिक संगठन बना कर यहाँ के आदिवासियों की आवाज़ को दबा दिया जाए । प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आदिवासी होने के बाद भी आदिवासी विरोधी विचारधारा रखते है और आरएसएस के साथ सदैव ऐसे कार्य करते है जिससे आदिवासी समाज सिर्फ विनाश हो । पूर्व में भी “बस्तर पण्डुम” जैसे आयोजन करवाये गए थे जो कि हमारी परंपरा नही है, “पण्डुम” मूलतः आदिवासियों द्वारा गांव में मनाने जाने वाला पर्व है जिसमे हम हमारे पेन देवी देवताओं को पूजते है पर इसके विपरीत मुख्यमंत्री ने सिर्फ अपने बड़े नेताओं को खुश करने के लिए जिला स्तरीय कार्यक्रम करवा कर गांव की संस्कृति को खत्म करने का काम किया । देवती कर्मा ने इन सब मामलों में दो टूक कहा कि यह तो तय है कि प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी होने के बाद भी हमारी परंपरा और संस्कृति को नष्ट करने का कार्य कर रहे है ।